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सुरभित आसव मधुरालय का 11

*मधुरालय*
           *सुरभित आसव मधुरालय का*11
शुद्ध सोच के आसव का यदि,
यह दुनिया नित पान करे।
सकल भेव रँग-रूप-जाति का-
चले नहीं चतुराई है।।
       करती है गुणगान लेखनी,
       आसव की इस महिमा का।
        नहीं लेखनी लिखती कोई-
         आसव ही लिखवाई है।।
प्रबल प्रभावी यह द्रव आसव,
आसव इक द्रव निर्मल है।
हितकर सोच रचे यह मन में-
इसमें गुण अधिकाई है।।
       मंद बुद्धि का है वह मानव,
       जो इसको बस पेय कहे।
       पेय तो है यह लेकिन अमृत-
       की इसमें बहुताई है।।
कहना-सुनना जन की आदत,
यही रीति है दुनिया की।
मग़र लेखनी मतिमंदों को-
सच्ची राह दिखाई है।।
        आसव-आसव-आसव ही है,
        प्रीति-पुस्तिका का शिक्षक।
        पा प्रेमी ने शिक्षा जिससे-
        प्रीति की रीति निभाई है।।
आसव की ही करें प्रशंसा,
ऋषि-मुनि-ज्ञानी-ध्यानी सब।
इसका नित-नित पान ही करके-
सरिता-ज्ञान बहाई है।।
        लेकर डुबकी ज्ञान-सरित में,
        सरल प्रकृति-साधारण जन।
        निज तन-मन को शुद्ध हैं करते-
        दुर्गुण-रेख मिटाई है।।
सुरभित आसव मधुरालय का,
वेद-मंत्र सम उत्प्रेरक।
निष्क्रिय तन-मन-वाचा स्थित-
भ्रम से मुक्ति दिलाई है।।
      मधुरबोल जन मधुरालय के,
      मृदुल हृदय तन धारी हैं।
      देव तुल्य यह लगता आलय-
       मुदित मोद-मृदुलाई है।।
अति सुरम्य है आबो-हवा औ',
मलयानिल सम पवन ढुरे।
प्रकृति कामिनी ढल प्याले में-
स्वयं छटा बन छाई है।।
       मनमोहक नित नवल छटा सी,
       छवि मधुरालय की लगती।
       पुष्प-गंध-मकरंद मस्त चख-
       भ्रमर-गीत मधुराई है।।
सुरभित आसव पीकर राही,
का हिय हुलसित हो जाता।
उसको लगे किसी ने जैसे-
लय सप्तम की गाई है।।
                ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                 9919446372

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7 Comments

Wahhhhh,,, उत्कृष्ट,, उत्तम, सर्वोत्तम शब्द संयोजन

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Mohammed urooj khan

29-Jan-2024 01:20 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

28-Jan-2024 09:33 PM

👌👏

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